Saturday 10 October 2009

मुझे तो अपनों ने लुटा,

मुझे तो अपनों ने लुटा,
गैरों में कहा दम था.

मेरी हड्डी वह टूटी,

जहाँ हॉस्पिटल बंद था.

मुझे जिस एम्बुलेंस में डाला,

उसका पेट्रोल कम था.

मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,

क्योंकि उसका किराया कम था.

मुझे डाक्टारो ने उठाया,

नर्सो में कहाँ दम था.

मुझे जिस बेड पर लिटाया,

उसके नीचे बम था.

मुझे तो बम से उड़ाया,

गोली में कहाँ दम था.

और मुझे सड़क में दफनाया,

क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था.

No comments:

Post a Comment