Tuesday 14 July 2009

मेली आपसे कट्टी कट्टी कट्टी

ख़त दिल से लिख रहू हु,
मजाक मत समजना,
प्यार तूम से करता हु
किसी और से मत समझना.
भेजने वाला : जय कुमार



मैं आपसे नालाज हु
मेको न -मेको न आप याद नि कलते
ओल फ़ोन भी नि कलते
ओल अब अश मश भी नि कलते
मेली आपसे कट्टी कट्टी कट्टी.

तुम दोस्ती का वो दाग हो
जिससे हम टाइद से धो नही सकते
रिन से साफ़ नही कर सकते
एक्सेल से मिटा नही सकते
क्योंकि कुछ दाग अच्छे होते है ना.
भेजने वाली : रचना



मैं न जानू की कौन हूँ मैं,
लोग कहते है सबसे जुदा हूँ मैं,
मैने तो प्यार सबसे किया,
पर न जाने कितनो ने धोखा दिया।

चलते चलते कितने ही अच्छे मिले,
जिनने बहुत प्यार दिया,
पर कुछ लोग समझ ना सके,
फिर भी मैने सबसे प्यार किया।

दोस्तो के खुशी से ही खुशी है,
तेरे गम से हम दुखी है,
तुम हंसो तो खुश हो जाऊंगा,
तेरे आँखो मे आँसु हो तो मनाऊंगा।

मेरे सपने बहुत बढे़ है,
पर अकेले है हम, अकेले है,
फिर भी चलता रहऊंगा,
मजिंल को पाकर रहऊंगा।

ये दुनिया बदल जाये पर कितनी भी,
पर मै न बदलऊंगा,
जो बदल गये वो दोस्त थे मेरे,
पर कोई ना पास है मेरे।

प्यार होता तो क्या बात होती,
कोई तो होगी कहीं न कहीं,
शायद तुम से अच्छी या,
कोई नहीं नही इस दुनिया मे तुम्हारे जैसी।

आसमान को देखा है मैने, मुझे जाना वहाँ है,
जमीन पर चलना नही, मुझे जाना वहाँ है,
पता है गिरकर टुट जाऊंगा, फिर उठने का विश्वास है
मै अलग बनकर दिखालाऊंगा।

पता नही ये रास्ते ले जाये कहाँ,
न जाने खत्म हो जाये, किस पल कहाँ,
फिर भी तुम सब के दिलो मे जिंदा रहऊंगा
भेजने वाला : बिक्रम सिंह कठैत



मुन्ना भाई: अगर बिना दांतों का कुत्ता कटे तो क्या करना चाहिए...???
सर्किट : सिंपल भाई... बिना सुई का इंजेक्शन लेने का..!!!
भेजने वाली : शक्कू


फूलो को छेडो तो कांटे मिलेंगे,
लड़की को छेडो तो चाटें मिलेंगे,
भेजने वाला : अजय चौधरी


मैंने उससे प्यार किया हिरा समझ कर
और उसका बाप खा गया मुझे खीरा समझ कर
भेजने वाला : मान सिंह


अमित : जब मैं छोटा था तब मैं कार के नीचे आ गया था . . .
विमल : यार फिर तू बचा या नहीं ?
अमित : यार मुझे ठीक से याद नहीं तब मैं बहुत छोटा था न !
भेजने वाला : राधा साहू


यही वफ़ा का सिलसिला है तो कोई बात नहीं ॥
ये दर्द तुमने दिया है तो कोई बात नहीं ॥
यह बहुत है कि तुम देखते हो साहिल से कि परवाना डूब रहा है तो कोई बात नहीं ॥
रखा था आशियाना-ए-दिल में छुपा के तुमको
वह घर तुमने छोड़ दिया है तो कोई बात नहीं ॥
तुमने ही आईना-ए-दिल बनाया था
तुमने ही तोड़ दिया है तो कोई बात नहीं ॥
किसे मज़ाल कहे कोई मुझे दीवाना (बदनाम)
अगर ये तुमने कहा है तो कोई बात नहीं ॥
भेजने वाला : विशाल कुमार साहू


वो आँख बड़ी प्यारी थी,
जो हमने उसे मरी थी,
वो संदले बड़ी भारी थी,
जो उसने हमे मरी थी,
मुफ्त में ही पिट गए यार,
हमें तो आँख की बीमारी थी.
भेजने वाला : कौशल


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