Thursday 5 March 2009

उससे जायदा मिटा के रोये.

एक बस में लड़को और लड़कियो की टीम बनी अन्ताक्षरी के लिए.....
लड़की - हम तुमको हरा कर दिखायेंगे
लड़के -लो हार गए अब दिखाओ


कभी रो के मुस्कुराई तो
कभी मुस्करा के रोये
उसकी याद जब भी आई
उसे भुला केर रोये
एक उसका ही नाम था
जो हज़ार बार लिखा.
जितना लिख के खुश हुए
उससे जायदा मिटा के रोये.


हसने के बाद क्यों रुलाती है दुनिया,
जाने के बाद क्यों भूलती है दुनिया,
ज़िन्दगी में क्या कसर बाकी रह जाती है,
जो मरने के बाद भी जलती है दुनिया.


मज़बूरी क्या थी उन्होंने बताई तो होती.

जुदाई की वजह कभी सुने तो होती.
अपनी जान भी तोहफे में दे देते.
मेरी मौत की खोवाइश जताई तो होती.



शाम सवेरे थारी घनी याद सतावे है.
साड़ी रात मने जगावे है.
करने को तो करलू कॉल तन्ने.
पर के करू कस्टमर केयर की छोरी बार बार बलेंस लो बतावे है.

भेजने वाली छोरी - ममता

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