Friday 23 January 2009

बुढ़िया बम है...........

सुबह जब आख खुलती हैं,
तो लबो पे तेरा नाम होता हैं,
जब नीगोडी रात आती हैं,
तो पास में जाम होता हैं !

काश पंख होते मेरे तो में उडकर पास आपके चला आता,
कितने बेताब हैं आपके लिए, हाले दिल सुना आता !
हर पल एक अगन सी होती हैं तेरे प्यार की,
तम्हें दिखा आता...........................................

भेजने वाला :
नाम : नवीन शर्मा



वो रोये तो बहुत पर मुंह मोड़ कर रोये
बड़े मजबूर होंगे जो दिल तोड़ कर रोये
मेरे सामने करके मेरी तस्वीर के टुकड़े
पता लगा बाद में उन्हें जोड़ कर रोये

भेजने वाला :
नाम : सुनील पंवार



एक बार आतंकवादी ने ,बुढ़िया के पास बम रख दिया.
लोग चिल्लाये - " बुढ़िया बम है :
बुढ़िया बम है...........
वो शरमा कर बोली," वो तो मैं जवानी में थी,"

भेजने वाला :
नाम : सपना अटवाल

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