Wednesday 22 October 2008

चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई

देखा तुझे तो रूह खुश हो गई,
एक कमी थी वो भी पुरी हो गई.
पागल हैं वो लोग जो कहते हैं की,
चिम्पंजी की आखरी नसल कहीं खो गई..


तारीफ के काबील हम कहाँ
चर्चा तो आपकी चलती है
सब कुछ तो है आपके पास
बस सींग और पुँछ की कमी खलती है


इतना खुबसूरत कैसे मुस्कुरा लेते हो
इतना कातिल कैसे शर्मा लेते हो
एक बात बताओ दोस्त बचपन से ही कमीने हो
या सूरत ही ऐसी बना लेते हो


तुमसा कोई दूसरा जमीन पर हुआ
तो रब से सिकायत होगी....
एक तो झेला नही जाता
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी....


खुदा करे तुम जिन्दगी में बहुत आगे बडो!!!
इतने आगे बडो की जिससे मिलो वो कहे
-ऐ बाबा चलो चलो आगे बडो..


मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करता......
मगर मुझे काम था......
मैं तुम्हारे लिए डूब के मरता......
मगर मुझे जुखाम था......

2 comments:

  1. भइया, राज ठाकरे पर इतना मेहरबान हो रहे हो पर अपना ख्याल रखना। कुछ बीमा-वीमा भी बढा लेना।

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  2. आपकी सुख समृद्धि और उन्नति में निरंतर वृद्धि होती रहे !
    दीप पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

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