Monday 4 February 2008

खड़ा हिमालय

खड़ा हिमालय
खड़ा हिमालय बता रहा हैं ैं,
डरो ना आंधी-पानी से.
खड़े रहो तुम अवीचल होकेे,
सब संकट तूफानों में.ें

डिगो न अपने प्र्रण से तुम,
सब कुछ पा सकते हो प्यारे.
तुम भी ऊचे उठ सकते हो,
छू सकते हो नभ के तारे.

अचल रहा जो अपने पथ पे,
लाख मुसीबत आने में
मीली सफलता जग में उसको,
जीने में मर जाने में.

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