Thursday 25 October 2007

माँगा तुझ को और तुमने मुझ को बस दगा दी ..!!!

मेरी खाता को तुमने वजा दी
बिना बात के भी मुझको तुमने सज़ा दी ..
शोला था दिल में मेरे पहले ही गम का
उसपर तुमने और आग लगा दी ..!!!

समझ के भी तुमने इतना न समझा
मेरे प्यार ने बस तुझको को सदा दी
दिल की आरजू के टुकड़े करके
जिद से तुमने हर कशिश मिटा दी ..!!

मैं ने माँगा था साथ बस तेरा
गैरों के पास जाकर तुमने मेरी कीमत ही गिरा दी
आँसू मेरे दिल के गम के
मांगे तुझ को और तुमने मुझ को बस दगा दी ..!!!

समझाए भी टू कैसे तुझ को
तुने तो हर बात हंस के उड़ा दी
दिल में ही रह गए दिन वो प्यार के
हर बात तेरे मेरे दिल की तुने आये संगदिल भुला दी ..!!!
मेरी खाता को तुमने वजा दी
बिना बात के भी मुझको सजा दी …!!!
Posted in कविता, दीपक द्वारा, लड़की, संगीत, हिंदी.

No comments:

Post a Comment