Monday, 28 February 2011
Friday, 25 February 2011
Wednesday, 23 February 2011
Tuesday, 22 February 2011
गब्बर सिंह की चरित्र-चित्रण
शोले के गब्बर सिंह की बुरे तो सब करते है पर किसी ने उसकी अच्छाइयों पर कभी नजर नहीं डाली| आइये डालते है उसके कुछ निस्वार्थ कर्मो और गुणों पर एक नजर:
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था.पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत औरपहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो.जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम औरविलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों मेंउत्कृष्टता के क्या कहने! 'जो डर गया, सो मर गया' जैसे संवादों सेउसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वोचाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: 'महबूबा ओये महबूबा' गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है.अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला के महत्त्व को समझता था.बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी कोएक पल में पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसरनहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटे तो उसने कतईढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहलेउसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का'लाफिंग बुद्धा' था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य कानिवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था.रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था.सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएंउसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कररखा था. उस युग में 'कौन बनेगा करोड़पति' ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यहसच्चा प्रयास था.
.अब पंजीकृत करे इनके द्वारा :
Labels:
गब्बर सिंह,
दयालु,
नृत्य,
भिक्षुक,
मज़ेदार तथ्य,
लतीफे,
संगीत,
हास्य
Location:
Ramgarh, Rajasthan, India
Subscribe to:
Posts (Atom)